Azim Premji University was established under the Azim Premji University Act 2010 of the Government of Karnataka. Azim Premji Foundation, the sponsoring body set up the University as a fully philanthropic and not-for-profit entity, with a clear social purpose. The University started in 2011 and since then have admitted over 2000 students.
Introduction
अज़ीम प्रेमजी यूनीवर्सिटी ‘नेचर राइटिंग फॉर चिल्ड्रन’ सर्टिफिकेट कोर्स आयोजित करता है।
यह कोर्स इस मंशा से बुना गया कि पर्यावरण के मसलों को जानने-समझने, उस पर लिखने-पढ़ने के अवसर बनें। इस विषय पर सम्वाद हों, गपशपें हों। यह विषय अकादमिक दुनिया से खुलकर आम जीवन तक, बच्चों तक पहुँचे। इसे लिखने वालों के बीच आपसी सम्वाद बनें। मिलकर‑साझगी में लिखने और लिखने को समझने के मौके बनें। तरह-तरह की आवाज़ों की जगह बने। तरह के परिवेश लिखकर भी साझा किए जाएँ। लिखऩे वालों और प्रकाशित करने वालों के बीच एक पुल बने। आवाजाही बने।
मोगली की सरज़मीं यानी पेंच नेशनल पार्क में यह कार्यशाला आयोजित की जाएगी। पाँच दिनी। 27 से 31 मार्च तक।
कार्यशाला में लेखन हिन्दी में होगा। सम्वाद हिन्दी में होगा। पाँच उस्तादों की संगत होगी। सम्पादक अपनी कैंचियों के साथ उपस्थित होंगे। कुल मिलाकर पाँच दिन लिखने और लिखने के सलीके, लिखने को तराशने का मौका बनेंगे।
पेंच के माहौल में खूबसूरत झीलें, ऊँचे दरख्त और कोई दो सौ से ज़्यादा परिन्दों का कलरव होगा। जाने कितने चीतल, साँभर, नीलगाएँ और जंगली भैंसों के साथ साथ कोई 65 बाघों की दहाड़ इसे जंगल बनाए रखती है।
तो आइए, हम अनुभव आधारित लेखन का कुछ मज़ा लें। उसे सीखें-सिखाएँ। इतना दिलचस्प लिखें कि बच्चों को पढ़ने का मज़ा आए।
यह कोर्स उन सबके लिए है जो पर्यावरण पर लिखने का शौक रखते हैं। उनके लिए जिनका दिल आसपास को निहारने में, उसे महसूस करने में, उसे लिखकर उजागर करने में लगता है। पर्यावरण तथा शिक्षा के कार्यकर्ताओंके लिए भी यह कोर्स उपयोगी होगा।
अनुभव आधारित लेखन की इस कार्यशाला के पाँच दिन लिखने और लिखने के सलीके, लिखने को तराशने का मौका बनेंगे।
यह कोर्स Azim Premji University की ‘Nature Writing for Children श्रृंखला पर आधारित है जो हाल के दिनों में प्रकाशित पुस्तकों और इस क्षेत्र में काम करने वाले विभिन्न लेखकों को बढ़ावा देता है।
प्रतिभागियों को ५ दिन पेंच टाइगर रिज़र्व में रहकर पर्यावरण लेखन में गंभीर रूप से जुड़े हुए उस्तादों से सीखने और सम्पादकों की संगती में अपने लेखन पर काम करने का मौका मिलेगा।
यह कार्यशाला उन लोगों के साथ नेटवर्क बनाने का अवसर भी प्रदान करेगा जो पर्यावरण पर साहित्य लिखने और प्रकाशन के क्षेत्र में काम करते हैं।
WHEN –9:00 AM onwards
VENUE पेंच टाइगर रिज़र्व
APPLY BY 20 Feb 2024
COURSE FACULTY Shashwat DC
FEES INR 5000 for Individuals (excluding GST) INR 4000 for partner organisations of Azim Premji University & Azim Premji Foundation (excluding GST)
कोर्स के सफल समापन पर, प्रतिभागी
Structure of the Course
यह कोर्स 27 – 31 मार्च 2024 तक पेंच टाइगर रिज़र्व , मध्य प्रदेश में आयोजित किया जाएगा। सभी पाँच दिनों में, प्रतिभागी पार्क की वनस्पतियों और जीवों के बीच विशेषज्ञों से बच्चों के लिए लिखने की कला सीखेंगे और आलोचनात्मक तरीके से संलग्न होंगे।
प्रतिभागियों को 5 टोलियों में बाटाँ जायेगा। हर एक टोली को हर एक उस्ताद के साथ आस‑पास के जीव और वनस्पति पर लेखन और संपादन की कला में मार्गदर्शन मिलेगा।
सारे प्रतिभागी पेंच टाइगर रिज़र्व में पॉँच दिन रहकर अनुभव आधारित लेखन और अवलोकन पर चर्चा करेंगे, सीखेंगे, सीखाएंगे और समझेंगे कि बच्चों के लिए दिलचस्प कहानियाँ, कविताएँ कैसे लिखें।
कोर्स के विशेषज्ञ:
विपुल कीर्ति
किशोर पंवार
सोपान जोशी
अजिंक्य देशमुख
सुशिल शुक्ल
हरिणी नागेंद्र
कोर्स की संरचना से सम्बंधित आगे की जानकारी यहीं वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।
यह कोर्स बच्चों के लिए प्रकृति और पर्यावरण विषय पर किताबें लिखने में रुचि रखने वाले लोगों के लिए लक्षित है। यह पाठ्यक्रम वयस्कों (18+ वर्ष) के लिए है और हिंदी में पेश किया जाएगा।
पर्यावरण एक ऐसा शब्द है जिससे हमारे आसपास का कुछ भी नहीं छूटता। उसमें जैसे सब कुछ शामिल दिखता है। आमतौर पर बच्चों के लिए लिखी गई सामग्री को देखने पर लगता है कि जैसे पर्यावरण नदियों, पहाड़ों, पेड़ों, हवा और जल तक ही सीमित होकर रह गया है। हम यानी इंसान तो उससे अकसर छूटे ही रहते हैं। तो एक पहली बात यह हैं कि अपने आसपास की सब चीज़ों से पर्यावरण को जोड़कर देखें। अनुभव करें। विचार करें।
एक और बात, पर्यावरण के लिए आमतौर पर बड़े बड़े विषय उठाए जाते हैं। मसलन, गंगा का प्रदूषण या ग्लोबल वार्मिंग, एलनीनो आदि। इन विषयों के महत्व से कौन इंकार कर सकता है? मगर हमारे एकदम आसपास के विषय छूटे रहते हैं जो सबको देखने को हासिल हैं। मसलन, आप घास पर बात करें, मकड़ी पर, अपने घर में या घर के सामने के पेड़ पर, तितली, पतिंगे, चींटियाँ, छिपकली…। तब आप कुछ कहेंगे तो बच्चों के पास उसे देखने का एक मौका बना रहेगा। हमेशा। वे अपने घर की चीटियों को आब्जर्ब करेंगे। निगाह रखेंगे। देखेंगे कि क्या सचमुच इस साल पेड़ पर अलग अलग मौसमों में कुछ चीज़ें बदल रही हैं। गर्मी में गर्मी न पड़े, बारिश में बारिश न हो तो क्या क्या असर दिखते हैं। घास सरीखी चीज़ों में एक भरापूरा संसार रहता है। घास के फूल ऐसे ही नहीं खिल जाते। इसलिए दूरस्थ गंगा की जगह अपने आसपास की कोई अनाम‑सी नदी के बारे में या अपने आसपास के किसी पोखर के संसार के बारे में लिखने की कोशिश करना बेहतर।
एक तीसरी बात, बच्चों के लिए लिखें तो क्या बोलचाल की, आमजन की भाषा बरत सकते हैं? इससे इस विषय के लिए एक ताज़ी सरल भाषा भी बनेगी। लम्बी — चौड़ी शब्दावलियों के बिना बात कहने की कोशिश करना। बारीक से बारीक विवरण को दर्ज करना। देखने को बहुत महत्व देना। लिखने मे विषय के बारे में तो पता चले ही, यह भी पता चले कि कैसे इस लेख की यात्रा हुई होगी। लेखक के विचार करने का तरीका भी पता चले। उसकी तलाशें पता चलें। एक ही लेख में बहुत सारे सवालों के उत्तर ढूँढने की जगह एक ही सवाल के छोटे छोटे चरण तलाशना अच्छा हो सकता है।
अपने आसपास के कितने ही इंसान हैं जो नदी, पहाड़, हवा पानी की तरह हमारे जीवन को बनाते हैं। जैसे, नदियों की सहायक नदियाँ होती हैं, वैसे ही ये लोग जीवन की सहायक नदियाँ हैं। ऐसे लोगों से सम्वाद भी बहुत सुन्दर लेख बन सकते हैं। मसलन, कितने ही लोग हैं जो अपनी गृहस्थी को लिए लिए साल भर घूमते रहते हैं। जैसे, पृथ्वी घूमती है। कि वे पृथ्वी के कुनबे के लोग हैं। कितने किसान होंगे जो अपने खेतों के एक एक पौधे के बारे में जानते हैं। वे किसी पौधे को हाथ लगाते हैं तो लगता है कि किसी इंसान को छू रहे हैं। उस छुअन में एक परवाह रहती है। ऐसे किसी किसान से सम्वाद एक दिलकश लेख हो सकता है।
जनरल बातचीत, सरलीकरण आदि से बचें। नसीहतों, सिखाने की कोशिश न करें। अपने अनुभव बयान करें। निचोड़ात्मक, निष्कर्षात्मक न लिखें। बयान पर भरोसा करें। बराबरी की भाषा में।
अपने आसपास की किसी भी शय पर अपने अवलोकन आदि पर आधारित एक छोटा सा नोट भेजें — 500 सौ शब्दों से अधिक का न हो। अगर आपको मौका मिले तो आप उन दो तीन विषयों के बारे में लिखें जिन पर आप लेख तैयार करना चाहते हैं। उस लेख में आप किन किन सवालों को एड्रैस करना चाहते हैं, यह भी लिख सकें तो कमाल। यह इस पृष्ठ की शुरुआत में रजिस्टर बटन का उपयोग करके किया जाना चाहिए। यह नोट अंतिम या पूर्ण होना ज़रूरी नहीं है, लेकिन लेखक का विचार उसमें आना चाहिए। इसमें लेखक के विचार का संक्षिप्त सारांश होना चाहिए।
आइए, हम आपके इन्तज़ार में हैं।
आवेदन करने की आखिरी तारीख 20 फरवरी 2024 है.
शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि 1 मार्च 2024 है। मूल्यांकन समिति का निर्णय अंतिम होगा।
किसी भी प्रश्न के लिए कृपया shashwat.dc@apu.edu.in पर लिखें।
कोर्स के सभी दिनों में सफलतापूर्वक भाग लेने के बाद प्रतिभागियों को भागीदारी प्रमाणपत्र से सम्मानित किया जाएगा।
इस कोर्स का नेतृत्व उन लोगों द्वारा किया जाएगा जो प्रकाशकों, संपादकों, लेखकों और शिक्षकों के रूप में बच्चों के लिए पर्यावरण लेखन में गंभीर रूप से जुड़े हुए हैं।
UNIT LEADERS
विपुल कीर्ति
किशोर पंवार
सोपान जोशी
अजिंक्य देशमुख
सुशिल शुक्ल
Fee Structure
INR 5000 For Individuals (excluding GST)
INR 4000 For partner organisations of Azim Premji University & Azim Premji Foundation (excluding GST)
For any queries, please write to: shashwat.dc@apu.edu.in
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